मंगलवार, 5 नवंबर 2013

भारत में आम आदमी की जिंदगी कीड़े-मकोड़े की तरह वहीँ दूसरी तरफ़ प्रिंस चार्ल्स की सेवा में जुटा जनसेवकों का बेड़ा

आज एक मित्र के पिता को देखने महंत इन्द्रेश चिकित्सालय गया तो देख कर बढ़ी हैरानी हुई मित्र के पिता आई.सी.यू. में भर्ती हैं आई.सी.यू. और आस पास के वार्डों में मरीजों का जमघट लगा हुवा था तीमारदार दुखी परेशान इधर-उधर विचर रहे थे उनके चेहरों पर कई सारी परेशानी साफ़ पढ़ी जा सकती थी मैंने अनुमान लगाया किसी को अपने मरीज के ठीक होने की चिंता तो किसी को इलाज में खर्च होने वाले पैसे का इंतजाम करने की चिंता सता रही है | मित्र से पूछने पर पता लगा आई.सी.यू. में भर्ती और दवाइयों का एक दिन का खर्चा कम से कम दस हज़ार से ऊपर आ रहा है और पिछले पांच दिनों से उसके पिता आई.सी.यू. में भर्ती हैं| मरीज के तीमारदारों के लिए चिकित्सालय प्रबंधन ने आई.सी.यू. के बगल में एक हाल बना रखा है जहाँ तीमारदार जमीन पर अपना बिस्तर लेकर रह सकते हैं, देख कर अनुमान लगाया जा सकता है चिकित्सालय प्रबंधन मरीजों व् तीमारदारों के प्रति कितना सजग है | हैरानी इस बात की है कि जिस देश में आम आदमी को यूँ कीड़े मकोड़ों की तरह जीवन-यापन करना पढ़ रहा हो उस देश में उन्हीं के टुकड़ों पर पलने वाले जनसेवक जिस ऐशोआराम से रहते हैं वो देखने लायक है| दूसरी तरफ़ ब्रिटेन के राजघराने के प्रिंस चार्ल्स के स्वागत की तैयारी जोर-शोर से चल रही है 7 नवम्बर, 2013 को उनके देहरादून के विभिन्न जगहों पर भ्रमण के लिए आम जनता की सुरक्षा, समस्या, सेवा ताक पर रखकर सभी जनपदों से एक हज़ार पुलिसकर्मी, लोकसेवक, चिकित्सक आदि आदि का भारी-भरकम जमावड़ा उनकी सेवा में लगाने की तैयारी की जा रही है जनता के करों से एकत्रित खजाने को उन पर जमकर लुटाया जायेगा| बेचारी जनता की लाचारी देखिये उसे इलाज मिले न मिले, शिक्षा में गुणवत्ता मिले न मिले, अच्छी सड़क मिले न मिले, बिजली, पानी, सुरक्षा मिले न मिले जनसेवकों को कोई फर्क नहीं पढ़ता है | हालात ये हो गए हैं जनता के करों से एकत्र खजाने की लूट लाचार जनता को खुली आँखों सहन करना पढ़ता है | बात साफ़ है हम न तब आजाद थे न अब आज़ाद हैं आखिर कब मिलेगी आजादी? इसी उधेड़बुन के साथ| 

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