शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर आप सभी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का अपराध कर रहा हूँ और यदि मैं अपराध कर रहा हूँ तो इस अपराध के लिए मैं छमा मांगता हूँ आशा है माफ़ करेंगे....

उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर आप सभी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का अपराध कर रहा हूँ और यदि मैं अपराध कर रहा हूँ तो इस अपराध के लिए मैं छमा मांगता हूँ आशा है माफ़ करेंगे....
लोग कहते हैं मैं केवल आलोचना ही करता हूँ और कमियां ही निकलता हूँ आज मैं आप पर छोड़ता हूँ आप कैसा स्थापना दिवस मनाना चाहते हैं ?  

  • मित्रों क्या जिस मूलअवधारणा के लिए उत्तराखंड बना था क्या ऐसा उत्तराखंड हमें मिला ? 
  • क्या उत्तराखंड की भाजपा,कांग्रेस,यूकेडी,बसपा,निर्दलीय सरकारों ने शहीद आन्दोलनकारियों के हत्यारों को सजा दिलवाई ? 
  • क्या उत्तराखंड के गाँव प्लायन का दंश नहीं झेल रहे हैं ? 
  • क्या उत्तराखंड की सरकारी शिक्षा ब्यवस्था पूर्ण रूप से धराशाई नहीं हो गई है ? 
  • क्या प्रदेश में उत्तराखंड बनने के बाद भू-माफ़िया, शराब माफ़िया, ड्रग माफ़िया, चेन स्नेचर, गुंडाराज नहीं पनपा है ? 
  • क्या उत्तराखंड के आम लोग सड़क,बिजली,पानी,चिकित्सा,शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएँ पा चुके हैं ? 
  • क्या उत्तराखंड के नेता सड़क छाप से आज करोड़पति अरब पति नहीं बन गए हैं ? 
  • क्या आज उत्तराखंड की जनता सड़क पर,घर पर, बाजार में, स्कूल कालेज में, बस में, ट्रेन में, खेत-खलियान में सुरक्षित हैं ? 
  • क्या उत्तराखंड में पुलिस की अपराधियों के साथ मिलीभगत नहीं होती है ? 
  • क्या उत्तराखंड के जनप्रतिनिधि जनभावनाओं के अनुरूप ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं ? 
  • क्या उत्तराखंड में लोकसेवक, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री अपनी तिजोरियां भरना छोड़ जनता के लिए कार्य कर रहे हैं ? 
  • क्या उत्तराखंड के बेरोजगार रोजगार के लिए तनाव में नहीं हैं ? 
  • क्या उत्तराखंड के निजी संस्थानों में रोजगार पाए उत्तराखंड वासियों का उत्पीड़न नहीं हो रहा है ? 
  • क्या उत्तराखंड में स्थाई राजधानी का मसला हल हो चुका है ? 
  • क्या उत्तराखंड में ग्राम स्वराज लागू है ? 
  • क्या उत्तराखंड के युवा नशे की ओर बड़ी तेजी से नहीं जा रहे हैं ? ....... 

मुझे लगता है हम सभी को  उपरोक्त बातों  पर मंथन कर उसी अनुरूप स्थापना दिवस पर सोचने, समझने, विचारगोष्ठी, संवाद करने की आवश्यकता के साथ स्थापना दिवस मनाने की आवश्यकता है. 


मंगलवार, 5 नवंबर 2013

भारत में आम आदमी की जिंदगी कीड़े-मकोड़े की तरह वहीँ दूसरी तरफ़ प्रिंस चार्ल्स की सेवा में जुटा जनसेवकों का बेड़ा

आज एक मित्र के पिता को देखने महंत इन्द्रेश चिकित्सालय गया तो देख कर बढ़ी हैरानी हुई मित्र के पिता आई.सी.यू. में भर्ती हैं आई.सी.यू. और आस पास के वार्डों में मरीजों का जमघट लगा हुवा था तीमारदार दुखी परेशान इधर-उधर विचर रहे थे उनके चेहरों पर कई सारी परेशानी साफ़ पढ़ी जा सकती थी मैंने अनुमान लगाया किसी को अपने मरीज के ठीक होने की चिंता तो किसी को इलाज में खर्च होने वाले पैसे का इंतजाम करने की चिंता सता रही है | मित्र से पूछने पर पता लगा आई.सी.यू. में भर्ती और दवाइयों का एक दिन का खर्चा कम से कम दस हज़ार से ऊपर आ रहा है और पिछले पांच दिनों से उसके पिता आई.सी.यू. में भर्ती हैं| मरीज के तीमारदारों के लिए चिकित्सालय प्रबंधन ने आई.सी.यू. के बगल में एक हाल बना रखा है जहाँ तीमारदार जमीन पर अपना बिस्तर लेकर रह सकते हैं, देख कर अनुमान लगाया जा सकता है चिकित्सालय प्रबंधन मरीजों व् तीमारदारों के प्रति कितना सजग है | हैरानी इस बात की है कि जिस देश में आम आदमी को यूँ कीड़े मकोड़ों की तरह जीवन-यापन करना पढ़ रहा हो उस देश में उन्हीं के टुकड़ों पर पलने वाले जनसेवक जिस ऐशोआराम से रहते हैं वो देखने लायक है| दूसरी तरफ़ ब्रिटेन के राजघराने के प्रिंस चार्ल्स के स्वागत की तैयारी जोर-शोर से चल रही है 7 नवम्बर, 2013 को उनके देहरादून के विभिन्न जगहों पर भ्रमण के लिए आम जनता की सुरक्षा, समस्या, सेवा ताक पर रखकर सभी जनपदों से एक हज़ार पुलिसकर्मी, लोकसेवक, चिकित्सक आदि आदि का भारी-भरकम जमावड़ा उनकी सेवा में लगाने की तैयारी की जा रही है जनता के करों से एकत्रित खजाने को उन पर जमकर लुटाया जायेगा| बेचारी जनता की लाचारी देखिये उसे इलाज मिले न मिले, शिक्षा में गुणवत्ता मिले न मिले, अच्छी सड़क मिले न मिले, बिजली, पानी, सुरक्षा मिले न मिले जनसेवकों को कोई फर्क नहीं पढ़ता है | हालात ये हो गए हैं जनता के करों से एकत्र खजाने की लूट लाचार जनता को खुली आँखों सहन करना पढ़ता है | बात साफ़ है हम न तब आजाद थे न अब आज़ाद हैं आखिर कब मिलेगी आजादी? इसी उधेड़बुन के साथ| 

रविवार, 3 नवंबर 2013

जब से मैं प्रकृति के बारे में सोचने लगा तब से मुझे अनावश्यक धन की भी आवश्यकता नहीं होती है और मुझे फूहड़ता से दूर रहके अत्यंत सुखद अहसास होता है|

इस साल भी दिवाली आई शहैर व् गाँव रौशनी और जहरीले धुंवें से नहाया हुवा था | घरों में जगमगाते बल्ब, टिमटिमाती लड़ियाँ, प्लास्टिक से बने फूलों की लम्बी-लम्बी मालायें, आसमान में छूटते हवाई राकेट, हवाई पटाखे, जमीन पर बेतहाशा धुंवा छोड़ता अनार, फुलझड़ी, चारों तरफ़ लग रहा था घरों को सजाने व् पटाखे फोड़ने की प्रतियोगिता चल रही हो, रात 1 बजे तक पटाखों का शोर ही शोर |
आज दिखावे के इस दौर में किसी को ये प्रवाह नहीं होती है कि शहैर में गाँव में हजारों लाखों बीमार, बढ़े-बुजुर्ग, कोख में पल रहे बच्चे, पशु-पक्षी भी रहते हैं जो हर एक पटाखे की आवाज पर सहम कर घबरा जाते हैं कोई ये नहीं सोचता कि उनके लिए एक एक धमाका कितना पीड़ादायक होता है| कहने को हम वैज्ञानिक युग में जी रहे हैं शिक्षित हो रहे हैं मगर वहीँ दूसरी तरफ़ हम ही इस प्रकृति के विनाश के आयोजन कर रहे हैं हमें न पर्यावरण की चिंता है और न ही किसी के दुःख-दर्द की | दीवाली से पूर्व ही कई जागरूक लोगों ने आम लोगों से निवेदन किया था कि इस पर्यावरण को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हर नागरिक की है शोर-शराबे से लोगों को पीड़ा पहुँचती है, पर्यावरण दूषित होता है इसलिये पटाखे न छुड़ाएं मगर फिर भी किसी के कानों में जूं तक नहीं रेंगी व् फूहड़ता इस साल भी जमकर देखने को मिली | दीवाली के मौके पर मेरे घर पर दीवाली का शोर नहीं था रोज की तरह मैंने अपनी दिनचर्या पूरी की फेसबुक, ब्लाग, ट्वीटर के माध्यम से मैंने आम जन को साधारण तरीके से खुशी मनाने के लिए निवेदन किया| मेरे घर का माहोल इस तरह बन चुका है कि आज मेरे घर वाले भी पर्यावरण के प्रति चिंतित नजर आते हैं जिससे मैंने अनुमान लगाया कि यदि माँ-बाप अपने बच्चों को प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास दिलवायें और साथ ही होली, दिवाली जैसे त्योहारों पर अपने बच्चों को खुली छूट न देकर फूहड़पन से दूर रखें तो परिणाम बेहतर आयेंगे| शुरुवात हमें खुद से ही करनी होगी | आपको बता दूँ जब से मैं प्रकृति के बारे में सोचने लगा तब से मुझे अनावश्यक धन की भी आवश्यकता नहीं होती है और मुझे फूहड़ता से दूर रहके अत्यंत सुखद अहसास होता है| फिर से कहूँगा प्रकृति है तो जीवन है इसे सुरक्षित रखें दिखावे से बचें |

कल और आज सभी मंत्री, विधायक व् अन्य जनप्रतिनिधियों के फेसबुक ट्विटर एकाउंट से दीवाली की शुभकामनाएं जरुर अपडेट होंगी | लोग उनको खूब कमेन्ट, लाइक करके बधाई भी देंगे| मगर कोई ये नहीं कहेगा हरामखोरों अपना रिपोर्ट कार्ड कब अपडेट करोगे ?

कल और आज सभी मंत्री, विधायक व् अन्य जनप्रतिनिधियों के फेसबुक ट्विटर एकाउंट से दीवाली की शुभकामनाएं जरुर अपडेट होंगी | लोग उनको खूब कमेन्ट, लाइक करके बधाई भी देंगे| मगर कोई ये नहीं कहेगा हरामखोरों अपना रिपोर्ट कार्ड कब अपडेट करोगे ? कुंडली मार के बैठे हुवे विकास निधि को कब ईमानदारी से खर्च करोगे ? इतनी महंगाई में कैसी दीवाली ? कोई ये नहीं कहेगा हमारी काहे की दीवाली दिवाली तो तुम्हारी होगी हमारा तो दिवाला है | खैर चलो जैसी तुम्हारी मर्जी कल सुना देहरादून से मसूरी नहीं दिख रहा था बादल नहीं लगे थे पठाखों के जहरीले धुवें से देहरादून और मसूरी के बीच में आसमान पर उस काले जहरीले धुंवें ने अपना कब्ज़ा कर लिया था बाकि कमि अमीरों की रिश्वतखोरी का माल बटोरे उनके बच्चे और गरीबों की मेहनत से कमाये उनके बच्चे पूरी कर देंगे अब रात्रि चर कीट-पतंगे मरें तो मरें, प्रदुषण से पर्यावरण ख़तम होता हो तो होता रहे हम तो दिवाली मनाएंगे यही भाव उनके अन्दर होगा.... तभी तो किसी को डेंगू लील रहा है, किसी को एड्स, किसी को हार्टअटैक, किसी को सूगर ऐसे ही मरोगे शालों साथ में हम भी मरेंगे.... फिर भी उत्तराखंड व् देशवासियों, किसान भाईयों-बहनों, मजदूर भाईयों-बहनों, सेना-अर्द-सेना-पुलिस-होमगार्ड- पीआरडी आदि सुरक्षा में लगे सभी भाईयों-बहनों, कर्मचारी भाईयों-बहनों, कलाकार भाईयों-बहनों, राजनीतिक भाईयों-बहनों, लोकसेवा में तैनात भाईयों-बहनों, पत्रकार भाईयों-बहनों, वैज्ञानिक भाईयों-बहनों, एवं प्यारे साथियों को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ| आओ देशवासियों संकल्प लें हम सभी देशवासी आपसी भाईचारे के साथ रहेंगे, देश के विकास के लिए ईमानदारी से कार्य करेंगे व् प्रकृति एवं प्राणी जीवन का सम्मान एवं सुरक्षा करेंगे | हैप्पी दिवाली....