शनिवार, 14 सितंबर 2013

"प्यारे साथियों बचपन से अपने बच्चों को प्रकृति प्रेमी बनायें संवेदनहीन मानव मशीन नहीं"

हिमालय बचाओ आन्दोलन पद यात्रा 3-18 मई, 2013 के दौरान सौड़ू गाँव में
प्रकृति की खुबसूरत सौगात गाय का बच्चा भार्गव चन्दोला को स्नेह करते हुवे 

 

"प्यारे साथियों बचपन से अपने बच्चों को प्रकृति प्रेमी बनायें 

संवेदनहीन मानव मशीन नहीं" 


आज देश के सबसे ज्यादा पढ़ाकू किताबी ज्ञान रखने वाले जो बचपन से ही पढ़ाकू होते हैं लोकसेवक, डाक्टर, इंजिनियर बन बैठे हैं उन्होंने अपने घर पर दिन रात मेहनत की और फिर वो इस मुकाम पर पहुंचे हैं| उन्होंने अपनी पढाई के बोझ के कारण मोहल्ले में शादी व्याह में ज्यादा भाग नहीं लिया| वो कभी किसी सामाजिक सरोकारों में भाग नहीं लेते हैं| किसी का स्वास्थ्य ख़राब हो जाता है तो उसको न तो हॉस्पिटल ले जाते हैं और न ही कभी उसकी तीमारदारी करते हैं| मोहल्ले पड़ोस में कोई मर भी जाये तो कभी लकड़ी देने या कान्धा देने भी नहीं जाते हैं| मोहल्ले पड़ोस तो क्या वो अपने रिश्तेदारों से भी ज्यादा मतलब नहीं रखते हैं| उन्होंने कभी किसी रोते बच्चे को नहीं चुप करवाया होता है उनको नहीं पता होता है किसी चेहरे पर मुश्कान कैसे लाई जा सकती है | उनको तो पता होता है किताबी ज्ञान| कैसे पढ़ना है कितना पढ़ना है ताकि वो क्लास में प्रथम आ सकें अच्छी नौकरी पा सकें और वो इसमें सफल भी हो जाते हैं| 


फिर जब बात होती है उसी समाज के बीच जाकर काम करने की तो वो अपने आप को उनसे बिलकुल अलग समझने लगते हैं | खुद को उन सबसे श्रेष्ठ समझने लगते हैं | उनको उस समाज से कोई लगाव नहीं होता है | होगा भी कहाँ से ? वो तो उनको बचपन से ही कीड़े मकोड़े समझते थे वो जो करते थे उनके लिए वो सब फालतू के काम होते थे | उनके अन्दर की मानव संवेदना तो बचपन में ही मर जाती है या मार दी जाती है | अगर उनकी ये संवेदना बचपन से उनके साथ रहती तो आज भारत की जनता खुशहाल होती, भारत में कुपोषण नहीं होता, किसान आत्म हत्या नहीं करता, सरकारी शिक्षा, चिकित्सा बेहतर होती पूंजीपति और माफियाराज न होता मगर अफ़सोस ऐसा हो न सका|

आम जनता लोकसेवकों, डाक्टरों, इंजीनियरों को तैयार करवाने से लेकर उनके वेतन सुविधाओं के लिए जितना कर चुकाती है उसका उनको प्रतिफल जरुर मिलता अगर इनके अन्दर मानव संवेदना होती इनको उनका दर्द होता ये केवल पैसा कमाने और राज करने वाले शासक नहीं बल्कि सेवक बनकर सेवा करते| मानव मूल्यों को समझते प्रकृति के मूल्यों को समझते|

मेरा सभी माताओं बहनों भाईयों मित्रों से निवेदन है आप अपने बच्चे को संवेदनशील मानव कल्याण और प्रकृति के मूल्यों को समझाते हुए दिखाते हुवे उनको भागीदारी करवाते हुवे बढ़ा करें और एक मानव तैयार करें.... संवेदनहीन मानव नहीं...

प्रकृति और पर्यावरण की सुरक्षा में ही मानव कल्याण है|

हिमालय बचाओ आन्दोलन पद यात्रा 3-18 मई, 2013 के दौरान हेंवल नदी में पद यात्री
पूजा भट्ट को भाई दीप पाठक पीठ में रखकर नदी पार करवाते हुवे 

जन्मदिन के अवसर पर बेटी सुदीक्षा से प्रकृति को सुरक्षित रखने हेतु
पेड़ लगवाते हुवे भार्गव चन्दोला एवं पूजा चन्दोला 

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