शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

जो दल सूचना के अधिकार के दायरे में नहीं वो वोट पाने का अधिकारी नहीं

जो दल सूचना के अधिकार के दायरे में नहीं वो वोट पाने का अधिकारी नहीं 


राजनैतिक दलों को RTI दायरे से बाहर करने वाले RTI संशोधन विधेयक की हम कड़ी निंदा करते हैं | जब राजनैतिक पार्टियों को मुफ्त में ज़मीन, टैक्स में सहूलियत जैसे अनेक सरकारी फायदे मिलते है, तो क्यों उन्हें RTI के दायरे से बाहर किया जा रहा है ? जब 40 देशो की राजनैतिक पार्टिया अपना पूरा हिसाब जनता के सामने रखती है, तो भारत की पार्टिया ऐसा क्यों नहीं कर सकती ? सभी राजनैतिक दल रिश्वत में मिले चंदे को 20,000 रूपए से कम राशि में बाँट देती है ताकि उन्हें चुनाव आयोग को दानदाताओ के नाम न बताना पड़ें |


RTI के मुद्दे पर विपक्षी दलों की सरकार के साथ चल रही सांठ गाँठ ने बीजेपी सहित तमाम दलों को का नकाब उतार दिया है | UPA और कांग्रेस से तो देश कोई उम्मीद नहीं कर रहा था, लेकिन जो थोड़ी बहुत उम्मीद बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों से थी, वो भी टूट गयी है| विपक्षी पार्टियां कांग्रेस के साथ मिल कर देश की राजनीति में पारदर्शिता नहीं लाना चाहती हैं | इस देश में विपक्ष नाम की कोई चीज़ है ही नहीं | RTI के मसले पर NDA और बीजेपी का रवैया जनता की भावनाओ के खिलाफ है |

“नॅशनल पार्टियाँ पोलिटिकल फंडिंग को RTI के तहत ना आने देने के मुद्दे पर एकमत है, इसलिए ये तमाम राजनीतिक दल जनता का वोट पाने का हक़ खो चुके हैं ”




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